रेलवे सुरक्षा बल की माने तो उन्होंने ई-टिकट की कालाबाजारी करने वाले बड़े अंतरराष्ट्रीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। गिरोह के सरगना गिरिडीह निवासी गुलाम मुस्तफा को दस दिन पहले भुवश्नेश्वर से गिरफ्तार किया गया था। उसके साथ 27 अन्य लोगों को पकड़ा गया है। गुलाम के पास से जब्त लैपटॉप और मोबाइल के साक्ष्य के आधार पर धनबाद रेल मंडल के पांच रिजर्वेशन टिकट एजेंटों को आरपीएफ ने उठाया है। उनसे पूछताछ हो रही है।
रेलवे सुरक्षा बल के महानिदेशक अरुण कुमार ने मंगलवार को पत्रकारों को बताया कि पांच साल से सक्रिय यह गिरोह 1000 करोड़ रुपये कमा चुका था। गिरोह के तार दुबई, पाक और बांग्लादेश तक फैले हैं। गिरोह के सदस्य टिकट कालाबाजारी की कमाई आतंकवाद फंडिंग, मनीलॉड्रिंग व गैर कानूनी कार्यों में इस्तेमाल करते थे। मुस्तफा के पास से आईआरसीटीसी के 563 निजी आईडी पाए गए हैं। एसबीआई की 2400 और ग्रामीण बैंक की 600 शाखाओं की सूची मिली है। संदेह है कि इन बैंकों में उसके खाते हैं। इसकी जांच हो रही है। गुलाम ने टिकट कालाबाजारी से शुरुआत की और ट्रेनिंग लेकर सॉफ्टवेयर डेवलपर बन गया।
गुलाम मुस्तफा और गिरोह से जुड़े देश भर में फैले तमाम एजेंट एएनएमएस नामक सॉफ्टवेयर की मदद से रेलवे के तत्काल टिकट बुक किया करते थे। टिकट बुकिंग के लिए ये लोग फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड भी बनाते थे। आरपीएफ डीजी ने बताया कि कमाई का पैसा तीन हजार खातों के जरिए विदेश भेजा जाता था। बड़ी रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर दुबई में बैठे आकाओं तक पहुंचता था। मास्टरमाइंड मुस्तफा बेंगलुरु से गिरोह चला रहा था। उसका नेटवर्क कई राज्यों में फैला था।